Wednesday, September 2, 2009

जुगनू


एक जुगनू अँधेरी रात में सलीका सिखा गया
अंधेरों को रोशन करने का तरीका बता गया......
अंतस की ज्वाला को प्रज्वलित करते हुए
एक चिंगारी को जैसे शोला बना गया......
अनजानी भीड़ में ख़ुद को तलाशते हुए
ख़ुद से ख़ुद की पहचान करा गया.......
अनचाहे गिले शिकवे भुलाते हुए
कुछ भटकते हुए सवालों के जवाब बता गया.......
फिर मंद ही मंद मुस्कुराते हुए
आस का एक बुझा हुआ दीपक जला गया........
~~पायल~~

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