Friday, December 11, 2009

खट्टी मीठी ज़िन्दगी के भूले बिसरे पल...

खट्टी मीठी ज़िन्दगी के भूले बिसरे पल
यादों के झरोखे से आज झांकते हैं
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सीने में दबे हुए अनगिनत जज़्बात
वक्त के साथ धुंधले नज़र आते हैं
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ओस में भीगे सीले हुए पत्ते
मोती बन आज आंखों में टिमटिमाते हैं
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सागर में निरंतर उठते ज्वार भाटे
अक्सर साहिल पर आकर शांत हो जाते हैं
~~पायल~~