Saturday, June 23, 2018

बेचैन , बरसाती लहर में ,
गुमसुम सी मुस्कराहट 
करवट बदलती 
बिस्तर पर पड़ी थी 
प्यार से सींचा 
तो नयी पत्ती सी कोमल 
ताज़गी बन चहक उठी 
घर भर में फिर से 
मुस्कुराने लगा जीवन 
फिर से महक उठा कण कण 
- पायल
23.6.2018

 

Thursday, May 10, 2018

एक तूफ़ानी रात

बदला हुआ मिज़ाज था मौसम का
सुबह तक बरसा था पानी
गिरे हुए पेड़, और बिछे हुए पत्ते,
गवाह हैं, उस तूफ़ान के,
जो आया और गुज़र गया।

चमकती धूप को देख,
कौन कह सकता है,
कल रात तूफ़ान आया था
कौंधती बिजली, और  तीखी तेज़ बारिश
साथ लाया था।

किसी का मकान कच्चा है
किसी  की बेटी की शादी
और  भी न जाने क्या क्या
कितने ख़्याल आये थे उस पल
कितनी चिंताऐ घेरने लगी थी यूँ ही।

दो पल की ये चिंताऐ
और दो पल का तूफ़ान...

सब गुज़र  जाता है
वक्त बदल जाता है
और कुछ आदतें भी!
-पायल