सुनी थी एक रोज़ एक ख़बर
दहशत फैलाती मीलों तक
एक आदमखोर बाघ की
जो अचानक गरीब के खेतों में आता
और बच्चों को उठा कर ले जाता
उन्हें चीरता फाड़ता और यूँ ही बदहवास छोड़ जाता
आज फिर वही ख़बर सुनी
कुछ उड़ती उड़ती पर कुछ बदली हुई सी
शायद ज़माना बदल गया है
आज वो आदमखोर बाघ नहीं था
एक बाघ की खाल ओढे आदमी था
क्या पता सच है या झूठ
पर छोटे कस्बों में ये शोर आम है
कहते हैं सब "जो बीत गई सो बात गई"
पर मेरे ज़हन में एक सोच छोड़ गई
क्या तब बुझेगी इसकी प्यास
जब इसके अपने बच्चे होंगे आस पास ??
~~पायल~~