Friday, September 4, 2009

एहसास

ज़ख्म कुछ गहरे मिले इस दिल को
दर्द का इलाज करती हूँ
मेरे हर शिकवे में तू ही है
तेरे हर गिले में मैं ही हूँ


ढूंढती हूँ आज मैं ख़ुद को
ख्यालों में फिर खो जाती हूँ
तू हर पल मेरे पास है
मैं हर पल तेरे साथ हूँ


कोई क्या जाने इस एहसास को……
महसूस कभी यूँ करती हूँ….
जैसे कहीं तू मुझ में रहता है
और कहीं मैं तुझ में रहती हूँ….

~~पायल~~

1 comment:

  1. Impressions and reflections you created in your enlish poems are missing in hindi poems. why?

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