जब दिल से कोई बात निकलती थी
और बादल बन बरस जाती थी
कभी कभी, मैं बहुत डर जाती थी
अजीब सा सन्नाटा था
अजीब सा शोर
उसके बीच में
कुछ अपनों के साथ
खुद को संभालती मैं
और फिर.. सिर्फ शून्य
जन्म , मृत्यु , मोक्ष
सब कुछ यहीं तो है
क्यों भटकते हैं लोग
ना जाने क्या चाहते हैं
इंद्रधनुष ही तो माँगा था ना तुमने मुझसे?
~~ पायल ~~