Sunday, July 16, 2017

ये पल..

सावन का पहला सोमवार
मिट्टी की सौंधी खुशबू
और बारिश में भीगता मन
एक छतरी
फूलों के रंग
भीगते हम
आधी मैं और
आधे तुम
-पायल
10.7.17

मेरी कलम से..

चलो, आज फिर दिल टटोलते हैं
बेधड़क कुछ राज़ खोलते हैं

एक गहरी साँस में न जाने
कितने मचलते गुमसुम लम्हे
 मुट्ठी में दबे चंद अल्फ़ाज़
मेरी कलम की स्याही से बोलते हैं
चलो, आज बंद मुट्ठी खोलते हैं

क्या छूट गया,  क्या साथ लाये,
क्यों सोचना? क्या अगला,
क्या पिछला, बस आज है,
आज ही चलो बोलते हैं
चलो, आज में रंग घोलते हैं

चलो, आज फिर दिल टटोलते हैं
बेधड़क कुछ राज़ खोलते हैं
-पायल
10.7.17

Monday, June 12, 2017

कुछ लम्हे मेरे अपने

ज़िन्दगी से कुछ लम्हे
खुद के लिये चुरा लेती हूँ
यही वो पल हैं
जब खुद को गले लगा लेती हूँ

न कोई शिकवा है
न कोई शिकायत है
बस यूँ ही हर पल सीखते सिखाते
ज़िन्दगी आगे बढ़ा लेती हूँ

कुछ करने की चाह में
थोड़ा हौंसला बंधा लेती हूँ
बन्दिशें नहीं हैं इसीलिये
बंधनों में बंधकर भी
रिश्ते निभा लेती हूँ
-पायल 6/4/2017