हमने बहुत कहा किसी से एक ज़माने में
इतना प्यार न करो,भलाई है भूल जाने में
डूबे हुए आज हम हैं उनके ख़यालों में
और वो मशगूल हैं हमें आज़माने में
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अगर सवाल न हों तो जवाब की किसको तलाश होगी
ज़िन्दगी यूँ ही खुद से बेख़बर अनजान बसर होगी
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~~पायल~~
Wednesday, September 29, 2010
Monday, July 26, 2010
सावन
तपते रेगिस्तान में
जब कोई छेड़ता मेघ मल्हार
बदरी छाती नयनों में
बरसता सावन ज़ार ज़ार
कोपलें फूटतीं
धरती झूम उठती
जब आस बंधाते उड़ते बादल
उड़ेलते अपना प्यार
~~पायल~~
जब कोई छेड़ता मेघ मल्हार
बदरी छाती नयनों में
बरसता सावन ज़ार ज़ार
कोपलें फूटतीं
धरती झूम उठती
जब आस बंधाते उड़ते बादल
उड़ेलते अपना प्यार
~~पायल~~
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