Thursday, November 6, 2014

कैसे याद करूँ..


क्या याद करूँ
उन बीते हुए पलों को,
 आज बहुत से ख्याल उमड़े
 इस भीगे से मन में ,
हँसते , खिलखिलाते ,
अठखेलियां करते ,
कभी गुदगुदाते ,कभी रुलाते,
हौले से सहलाते ,
सपने दिखाते ,
ठंडी हवा छूकर
अपने होने का एहसास
 कराती हुई चली गयी। 
 एक ख्याल तनहा कर गया।
सूरज की किरणें
मानो आज उदास हैं,
कुछ कहना चाहती हैं
पर सकुचाती हैं।
हलकी सी धुंध है,
कोहरा घिरने लगा है।
कैसे याद करूँ
उन बीते हुए पलों को,
जो भीगे हुए पन्नो में
राख बन चुके हैं। 
~~ पायल ~~ 
 
 
 

Thursday, March 27, 2014

कैसी हूँ मैं?

हल्की सी हंसी में सिमटा हुआ थोड़ा सा ग़म
कुछ पुरानी कहानियों में
कुछ बीते हुए पन्नों में
कुछ ऐसी यादों में
जो याद भी नहीं आती.

कुछ भूल गयी हूँ शायद
खुद को?
या शायद तुमको?
या उन लम्हों को
जो कभी ज़िन्दगी लगते थे
थक गयी हूँ अब
कहानियाँ बुनते बुनते

रुक गयी हूँ कहीं शायद
या फिर
खो गयी हूँ कहीं
बता दो
कैसी हूँ मैं?

आज जाने क्यूँ
ढूंढती हूँ खुद को
कुछ उलझे से सवाल हैं,
कुछ सीधे से जवाब
जो सिर्फ तुम्हारे पास हैं
~~पायल~~