क्या याद करूँ
उन बीते हुए पलों को,
आज बहुत से ख्याल उमड़े
इस भीगे से मन में ,
हँसते , खिलखिलाते ,
अठखेलियां करते ,
कभी गुदगुदाते ,कभी रुलाते,
हौले से सहलाते ,
सपने दिखाते ,
ठंडी हवा छूकर
अपने होने का एहसास
कराती हुई चली गयी।
एक ख्याल तनहा कर गया।
सूरज की किरणें
मानो आज उदास हैं,
कुछ कहना चाहती हैं
पर सकुचाती हैं।
हलकी सी धुंध है,
कोहरा घिरने लगा है।
कैसे याद करूँ
उन बीते हुए पलों को,
जो भीगे हुए पन्नो में
राख बन चुके हैं।
~~ पायल ~~
याद तब किया जाता है जब भूल जाते हैं ! अच्छी कविता
ReplyDeletehmm.. Thank you bade bhaiya. :)
Deleteजो भीगे हुए पन्नो में
ReplyDeleteराख बन चुके हैं। " woh abh panno se chipak kar reh jayenge.. unhe aise hi chod do .. kaun jaane kissi din hawa ka jhoka le hi ude uski manzil tak..
hmm..kaun jaane..
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