हल्की सी हंसी में सिमटा हुआ थोड़ा सा ग़म
कुछ पुरानी कहानियों में
कुछ बीते हुए पन्नों में
कुछ ऐसी यादों में
जो याद भी नहीं आती.
कुछ भूल गयी हूँ शायद
खुद को?
या शायद तुमको?
या उन लम्हों को
जो कभी ज़िन्दगी लगते थे
थक गयी हूँ अब
कहानियाँ बुनते बुनते
रुक गयी हूँ कहीं शायद
या फिर
खो गयी हूँ कहीं
बता दो
कैसी हूँ मैं?
आज जाने क्यूँ
ढूंढती हूँ खुद को
कुछ उलझे से सवाल हैं,
कुछ सीधे से जवाब
जो सिर्फ तुम्हारे पास हैं
~~पायल~~
कुछ पुरानी कहानियों में
कुछ बीते हुए पन्नों में
कुछ ऐसी यादों में
जो याद भी नहीं आती.
कुछ भूल गयी हूँ शायद
खुद को?
या शायद तुमको?
या उन लम्हों को
जो कभी ज़िन्दगी लगते थे
थक गयी हूँ अब
कहानियाँ बुनते बुनते
रुक गयी हूँ कहीं शायद
या फिर
खो गयी हूँ कहीं
बता दो
कैसी हूँ मैं?
आज जाने क्यूँ
ढूंढती हूँ खुद को
कुछ उलझे से सवाल हैं,
कुछ सीधे से जवाब
जो सिर्फ तुम्हारे पास हैं
~~पायल~~
Adbhut!
ReplyDeletedhanyawaad ! :)
Deletemere sawaalon ka jawaab do.. do naaa .. :p
ReplyDeleteEvery word is an expression in itself
ReplyDeleteThanks a lot..:)
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