दो पल रूककर चल पड़ती है ज़िन्दगी
सांस सांस हवा सी बहती है ज़िन्दगी
यादों में कुछ इस तरह ढ़लती है ज़िन्दगी
आँखें मूंदे फिर कभी नज़र आती है ज़िन्दगी
कभी अठखेलियाँ करती है कभी मुस्कुराती है ज़िन्दगी
कभी थकी हुई गुमसुम नज़र आती है ज़िन्दगी
कभी खुद को खुद से चुराती है ज़िन्दगी
कभी खुद को खुद से मिलाती है ज़िन्दगी
कभी ठहरोगे कहीं दो पल के लिए राही
फिर देखना ज़रा कितना सताती है ज़िन्दगी
किसी के लिए कभी जी कर तो देखो
चुपके से तुम्हें उसकी जान बनाती है ज़िन्दगी
भीगी दोपहर में मचलती आँगन में धूप सी
छुपती-छुपाती खामोश क़दमों से आती है ज़िन्दगी
ख्वाब सजाती ,हंसाती-रुलाती,भागती-दौड़ती ये ज़िन्दगी
आती जाती साँसों के बीच डूबती उभरती ज़िन्दगी
~~पायल ~~
बस कुछ ऐसी ही ये जिंदगी .. :)
ReplyDeleteEk baar mili hai
ReplyDeleteKhulke jee lo yeh Zindagi
Kya pata kab milegi
Phir aisi zindagi