बेचैन , बरसाती लहर में ,
गुमसुम सी मुस्कराहट
करवट बदलती
बिस्तर पर पड़ी थी
प्यार से सींचा
तो नयी पत्ती सी कोमल
ताज़गी बन चहक उठी
घर भर में फिर से
मुस्कुराने लगा जीवन
फिर से महक उठा कण कण
- पायल
23.6.2018
गुमसुम सी मुस्कराहट
करवट बदलती
बिस्तर पर पड़ी थी
प्यार से सींचा
तो नयी पत्ती सी कोमल
ताज़गी बन चहक उठी
घर भर में फिर से
मुस्कुराने लगा जीवन
फिर से महक उठा कण कण
- पायल
23.6.2018
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