Thursday, February 28, 2019

ये शहर

ये जागते हुए शहर, ये जगाते हुए शहर।
दूर से कुछ खास नज़र आते ये शहर।

इस भीड़ में कहीं खो से जाते।
शोरगुल में खुद से दूर जाते ये शहर।

ऊब जाते वीराने में डूबकर।
सुकून की नींद तलाशते ये शहर।


यादों की बस्तियों में घरोंदे बसाते।
जागते शामो-सहर, किस्से सुनाते ये शहर।

कुछ उजाड़ से अस्तित्व की तलाश में।
हम सबके बीच बँटते जाते ये शहर।


बेमिसाल गहराई है कुछ ख्यालों में।
खुद की आवाज़ ना सुन पाते ये शहर।


किस शहर से चले आते हो?
किस शहर में बसना चाहते हो?
वोजो सरहदें बनाता है
या वो जो सरहदें मिटाता है?
एक शहर भीतर जलता है।
एक शहर दिलों में पलता है।
-पायल

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