Tuesday, June 2, 2020

राख को मत कुरेदिये

राख को मत कुरेदिये
 बेसब्र होकर
 कहीं अधजला हिस्सा
जी न उठे कोई याद बनकर

 गरम कोयले सी हैं
 दूर ही रहो इनसे
 कहीं जला न दे आपको
कोई याद खाक बनकर .

क्यों हवा देते हो
 बुझती हुई चिंगारियों को
 कहीं आग लगा न दे
 कोई टुकड़ा आस बनकर

 नज़दीकियों से तो
 दूरियां ही भली
 बस कहीं धुआँ न उठे
कोई आह बनकर .

जब आग लगी थी
 तब देखते
 अब वक़्त को बहने दीजिये
 फ़रियाद बनकर
~पायल

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