राख को मत कुरेदिये
बेसब्र होकर
कहीं अधजला हिस्सा
जी न उठे कोई याद बनकर
गरम कोयले सी हैं
दूर ही रहो इनसे
कहीं जला न दे आपको
कोई याद खाक बनकर .
क्यों हवा देते हो
बुझती हुई चिंगारियों को
कहीं आग लगा न दे
कोई टुकड़ा आस बनकर
नज़दीकियों से तो
दूरियां ही भली
बस कहीं धुआँ न उठे
कोई आह बनकर .
जब आग लगी थी
तब देखते
अब वक़्त को बहने दीजिये
फ़रियाद बनकर
~पायल
बेसब्र होकर
कहीं अधजला हिस्सा
जी न उठे कोई याद बनकर
गरम कोयले सी हैं
दूर ही रहो इनसे
कहीं जला न दे आपको
कोई याद खाक बनकर .
क्यों हवा देते हो
बुझती हुई चिंगारियों को
कहीं आग लगा न दे
कोई टुकड़ा आस बनकर
नज़दीकियों से तो
दूरियां ही भली
बस कहीं धुआँ न उठे
कोई आह बनकर .
जब आग लगी थी
तब देखते
अब वक़्त को बहने दीजिये
फ़रियाद बनकर
~पायल
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