बिछ गए पुष्प अमलतास के
राह में कुछ इस तरह
पाँव के नीचे बसंत छा गया|
आसमान से धरा तक
फैले अमलतास के रंग को देख,
दिल में एक हूक उठी,
जैसे कोई नयी उम्मीद जगा गया|
पीत वर्ण, अमलतास के पुष्प
कुछ गुच्छों से टूटते और
धरा पर बिखर जाते,
कुछ वहीँ रह जाते रिश्ते निभाते|
.
उस कलाकार की बात निराली है|
पतझड़ में भी फूल
खिला दिए अमलतास के|
तुम भी ना,
ख्यालों के ताने बाने में लिपटे
सुनहरे चमकते हुए
उस अमलतास की तरह हो,
जिसको देखते ही मन खिल उठता है|
बसंती चादर ओढ़े
जब बहार आती है,
पगडंडी पर खड़ा
बरसों पुराना
अमलतास का वृक्ष,
सुगन्धित पुष्पों से
भर जाता है.
.
देख रही हूँ कई वर्षों से
सुनहरी धूप में लिपटे
पीले पीले अमलतास के पुष्पों को.
धीमी हवा के झोंके के साथ
मदमस्त, झूमते, इतराते हुए.
राहगीर भी बैठ जाते हैं
कई बार राह में उन्हें निहारते हुए
.
हमारी बातें सुन
एक नयी उमंग के साथ
खिलखिला कर हँस पड़ता है
अमलतास..
- पायल