Thursday, November 26, 2009

सुर संग तान मधुर घुले जब..

सुर संग तान मधुर घुले जब
प्रीत अधूरी गीत बन जाये…
धुआं उठे जब आहों से तब
हिमनदी भी पिघली जाए

धरती संग गगन झूमे जब
सागर यूँ हिचकोले खाए
सीने में उठे तूफ़ान तब
जीवन नय्या डूबी जाए

सांझ ढले दिया जले जब
रंज-ओ-ग़म दूर हो जाए
पलकों पर मोती सजे तब
सतरंगी फ़िज़ा में घुल जाए

यादों के गलियारे में जब
तारों की महफ़िल सज जाये
चाहत के मेले लगे तब
दूर कहीं मेघ नीर बरसाए

~~पायल~~

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